जानें कोविड 19 से जुड़े सारे शब्दों के मायने
ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी कब घोषित की जाती है? क्वारंटीन और आइसोलेशन में अंतर क्या होता है? या फिर पेशेंट 31 टर्म का इस्तेमाल क्यों किया जाता है। इन सभी सवालों के जवाब आपके लिए जानना बहुत जरूरी है, अमर उजाला के इस लेख का मकसद यही है कि आप भी समझें इस महामारी से जुड़ी आवश्यक शब्दावली। कोरोना महामारी के चलते हर कोई सतर्क है और इससे बचने के तमाम उपाय भी कर रहा है। सुबह से शाम तक बहुत सारे शब्द ( टर्मिनोलॉजी ) आपसे और हमसे टकराते हैं। कोरोना वायरस यानी COVID-19  से जुड़े इन शब्दों का अर्थ जानना जरूरी है, जिनका इस्तेमाल आजकल रोजाना हो रहा है,आइए विस्तार से जानते हैं इनका मतलब...


COVID-19 क्या है?


सीओवीआईडी- 19 (COVID-19) कोरोना वायरस का नवीन प्रकार है। 31 दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में इसकी पहली बार पहचान हुई थी। COVID-19 कोरोना वायरस का आधिकारिक नाम है। यह नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसको महामारी घोषित किया है।



सोशल डिस्टेंसिंग

एक दूसरे के संपर्क में आने से बचना और एक निश्चित दूरी बनाकर रहना सोशल डिस्टेंसिंग है। वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एक दूसरे से निश्चित दूरी बनाकर रखना और अपने-अपने स्थानों पर सुरक्षित रहना है। दूरी बनाकर रहने से वायरस का संक्रमण भी कम होगा और यह फैलेगा भी नहीं। कोरोना वायरस की गति को कम करने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बहुत जरूरी कदम है। यह इसलिए आवश्यक है ताकि स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, वायरस की स्थिति को संभाल सके। इसके तहत सामूहिक समारोहों से दूर रहना है। कार्यालयों, स्कूलों, सम्मेलनों, खेल आयोजनों, शादियों आदि से दूरी और इसके आयोजनों का कुछ समय तक ना होना, जिससे संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सके।


महामारी अधिनियम 1897 के तहत लॉकडाउन को लागू किया जाता है


क्या होता है लॉकडाउन?

लॉकडाउन एक प्रशासनिक आदेश होता है। इसको सरकार आपदा के दौरान सरकारी तौर पर लागू कर सकती है। इसमें लोगों से घर में रहने का अनुरोध किया जाता है और जरूरी सेवाओं के अलावा सारी सेवाएं बंद कर दी जाती हैं। इसका मकसद होता है, सब अपने-अपने घरों में सुरक्षित रहें।

महामारी अधिनियम 1897 के तहत लॉकडाउन को लागू किया जाता है। इस अधिनियम का इस्तेमाल किसी विकराल और विकट समस्या के दौरान किया जाता है। जब केंद्र और राज्य सरकार को ये विश्वास हो जाए कि कोई बड़ा संकट या महामारी देश या राज्य में आ चुकी है और सभी नागरिकों की जान को इससे खतरा हो सकता है तब इसको लागू किया जाता है। महामारी अधिनियम 1897 की धारा 2 राज्य सरकार को कुछ महत्वपूर्ण शक्तियां प्रदान करती है, जिसके तहत केंद्र और राज्य सरकारें बीमारी की रोकथाम के लिए अस्थायी रूप से कोई नियम बना सकती हैं।

वर्तमान समय में भारत में लॉकडाउन में आवश्यक सेवाओं जैसे पुलिस, अग्निशमन, मेडिकल, पैरामेडिकल, बस टर्मिनल, बस स्टैंड, सुरक्षा सेवाएं, पोस्टल सेवाएं, पेट्रोल पंप, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, टेलीकॉम एवं इंटरनेट सेवाएं, बैंक, एटीएम, पानी, बिजली, नगर निगम, मीडिया, डिलीवरी, ग्रॉसरी और दूध आदि सेवाओं को लॉकडाउन से छूट दी गई है ताकि अव्यवस्था ना फैले।  

इस कानून के अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधान हैं:



  • सार्वजनिक सूचना (टीवी, अखबार, फोन, पर्चे आदि) के जरिए महामारी के प्रसार की रोकथाम के उपाय करना।

  • सरकार किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह जो महामारी से ग्रस्त है उसे किसी अस्पताल या अस्थाई आवास में रख सकती है।

  • सरकारी आदेश नहीं मानना अपराध होगा और आईपीसी की धारा 188 के तहत सजा भी मिल सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

  • महामारी एक्ट में सरकारी अधिकारियों को कानूनी सुरक्षा प्राप्त है। अगर कोई अनहोनी होती है तो सरकारी अधिकारी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


महामारी क्या है?

महामारी शब्द उन संक्रमणकारी बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो एक ही समय में दुनिया के अलग-अलग देशों के लोगों में फैल रही हो। कोरोना वायरस से पहले साल 2009 में स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया गया था।


विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जब वायरस बिलकुल नया हो, वह संपर्क के द्वारा आसपास के लोगों को संक्रमित कर रहा हो और उसका कोई इलाज न हो या उससे हो रही मौतों की संख्या तेजी से आगे बढ़ रही हो तो उसे महामारी घोषित किया जा सकता है।

एपिडेमिक
अंग्रेजी के शब्द एपिडेमिक से पैनडेमिक दोनों का अर्थ महामारी ही होता है। लेकिन दोनों में एक बड़ा अंतर भी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुरुआत में कोरोना वायरस को एपिडेमिक घोषित किया था। एपिडेमिक का हिंदी में अर्थ एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित रहने वाली बीमारी होता है।

पैनडेमिक
पैनडेमिक में बीमारी का विस्तार तेजी से एक देश से दूसरे देश तक होता है, इसका मतलब एक ही बीमारी से दुनिया के कई देश संक्रमित हो जाएं। इसलिए कोरोना वायरस को डब्लूएचओ ने बाद में पैनडेमिक घोषित कर दिया।

क्वारंटीन और आइसोलेशन में अंतर


क्या है क्वारंटीन?

  • इसमें घर के एक कमरे में अलग रहना होता है।

  • परिवार के सदस्य या किसी बाहरी से सीधा संपर्क नहीं रखा जाता है।

  • संदिग्ध के कमरे में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं जाए।

  • बाथरूम नियमित तौर पर साफ हो। दूसरा व्यक्ति इसे इस्तेमाल न करे।

  • संदिग्ध से छह फीट दूर रहना चाहिए। बाहर निकलें तो मास्क पहन लें।

  • घर में अकेले हैं तो अपना जरूरी सामान किसी से मंगवाए।

  • एक ही किचन है तो एक ही व्यक्ति वहां जाए। खुद किचन में जाने से बचें।

  • बार-बार साबुन से हाथ धोते रहें।

  • अपना कचरा इधर-उधर न फेंके।



इसमें संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाता है और दूसरे लोगों से दूरी बनी रहती है


क्या है आइसोलेशन

  • इसमें संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाता है और दूसरे लोगों से दूरी बनी रहती है।

  • जब तक बहुत जरूरी न हो कोई भी उस कमरे में नहीं जाता है।

  • संक्रमण का शक हो तो आइसोलेशन के दौरान हवादार कमरे में रहें।

  • अलग बाथरूम का इस्तेमाल करें।

  • हॉस्पिटल न जाएं। जांच करानी हो तो फोन से सूचना दें, जिससे स्वास्थ्य विभाग की टीम सुरक्षित तरीके से सैंपल ले सके।

  • सांस लेने में परेशानी हो तो तत्काल डॉक्टर से बात करें।

  • जरूरत के हिसाब से अस्पताल में रहें। अपने आप से दवा न लें।

  • सार्वजनिक यातायात, कैब, टैक्सी आदि से भी बचें।


सेल्फ-आइसोलेशन (Self- Isolation)

सेल्फ-आइसोलेशन का मतलब खुद को संक्रमित लोगों से दूर रखना। कोरोना से बचाव का कदम है, ताकि आप लोगों के संपर्क में आएं ही नहीं और इस संक्रमण से दूर रहे। अपने आपको एक निश्चित और सुरक्षित जगह तक सीमित रखना सेल्फ आइसोलेशन कहलाता है।

क्वारंटीन और आइसोलेशन में अंतर
चिकित्सकीय भाषा में कोरोना संदिग्ध मरीज के लिए क्वारंटीन शब्द का प्रयोग किया जाता है, जबकि पॉजिटिव मिले मरीजों के लिए आइसोलेशन शब्द का प्रयोग हो रहा है।

ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी यानी


ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी

ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी यानी Public Health Emergency of International Concern (PHEIC)। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इस तरह की इमरजेंसी ऐसी आपातकाल की स्थिति पर लागू की जाती है, जब दुनिया में स्वास्थ्य जोखिम का खतरनाक माहौल होता है।  

राष्ट्रीय स्तर पर हेल्थ इमरजेंसी बहुत कारणों से घोषित की जा सकती है, मगर वहीं दूसरी तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन, ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी किसी खतरनाक वायरस के संक्रमण को लेकर ही घोषित की जाती है। खासकर जब उस बीमारी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने का खतरा पैदा हो जाता है। तभी पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी या ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी लागू की जाती है।

'जबकोई विशेष इलाका किसी गंभीर स्वास्थ्य खतरे से जूझ रहा होता है तब उस शहर, राज्य या फिर पूरे देश में हेल्थ इमरजेंसी लागू की जाती है। जब ये समस्या बढ़कर ग्लोबल स्तर पर फैलने का खतरा दिखाई देता है तब पब्लिक या ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी लागू की जाती है'WHO की परिभाषा के अनुसार

कोरोना वायरस के चार चरण होते हैं


कोरोना वायरस के चरण-

कोरोना वायरस के चार चरण होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक कोरोना वायरस के अलग-अलग चरण होते हैं और यह भी बताया कि इसका तेजी से फैलना संसार के लिए घातक हो सकता है, जानिए कोरोना वायरस के चार चरणों के बारे में -

चरण 1 : विदेशों से आए मामले
पहले चरण में मरीज किसी और देश में संक्रमित होता है। उस जगह से जहां भी यात्रा करता है बाकी लोगों में संक्रमण फैलता जाता है।


चरण 2 : स्थानीय लोगों में संक्रमण का फैलना

दूसरे चरण में बाहर से आए मरीजों से संक्रमण फैलता है। कोरोना वायरस पॉजिटिव लोगों की ट्रैवल हिस्ट्री यानी उन्होंने इस दौरान कहां-कहां यात्रा की और किन-किन लोगों के सम्पर्क में आए उससे यह पता चलता है कि कौन-कौन इससे संक्रमित हो सकते हैं?

चरण 3 : कम्युनिटी के बीच संक्रमण का फैलना

यह चरण बहुत घातक होता है, क्योंकि इसमें भीड़ के बीच बीमारी फैलने लगती हैं। चीन और इटली देशों में यही हुआ जिसके कारण स्थिति बेकाबू हो गई। तीसरे चरण में यह पता लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है कि आखिरकार भीड़ में मौजूद किस व्यक्ति में संक्रमण हुआ है और कितना फैल रहा है?

चरण 4 - महामारी का रूप

इस चरण में संक्रमण महामारी का विकराल रूप ले लेता है। महामारी का यह चरण खौफनाक होता है। यही वजह है कि इमरजेंसी घोषित की जाती है और परिस्थितियों को काबू करने के समस्त प्रयास किए जाते हैं।

हर्ड (Herd) शब्द का अर्थ होता है झुंड


हर्ड इम्युनिटी (Herd immunity)

हर्ड (Herd) शब्द का अर्थ होता है झुंड।
जब लोगों का एक बड़ा समूह  किसी संक्रामक बीमारी से प्रतिरोधक हो जाता है, तो उसे हर्ड इम्युनिटी कहा जाता है।
ये शब्द सिर्फ संक्रामक बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

ऐसा दो तीन तरीकों से हो सकता है-
पहला– सही तरह से वैक्सीन लगाई जाए।
ज्यादा संख्या में वैक्सीन लगेगी तो लोग इस बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बना लेंगे।

दूसरा– बड़ी संख्या में लोग इस बीमारी से इन्फेक्ट हों, और फिर ठीक हों, और इस वजह से उनका शरीर इसके लिए इम्यूनिटी विकसित कर ले।

इन्क्यूबेशन ( Incubation )

वायरस जब शरीर के संपर्क में आता है, तो तुरंत बीमारी के लक्षण नहीं दिखते हैं। इन लक्षणों को शरीर पर दिखने में कुछ समय लगता है। कोरोना वायरस के मामले में ये समय दो से चौदह दिन का है। जो समय लक्षणों को दिखने में लगता है, उसे ही इन्क्यूबेशन पीरियड कहा जाता हैं।

पेशेंट 31(Patient 31):इस शब्द का उद्भव दक्षिण कोरिया से हुआ है


पेशेंट 31(Patient 31)



  • इस शब्द का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है, जो बड़ी संख्या में दूसरों को इन्फेक्शन फैला दे।

  • इस शब्द का उद्भव दक्षिण कोरिया से हुआ है।

  • दक्षिण कोरिया में  20 जनवरी को पहली बार कोरोना वायरस का पता चला था।

  • दक्षिण कोरिया में जो पहले 30 पेशेंट पाए गए , उन्होंने इस संक्रमण के पता चलने पर अपना खूब ध्यान रखा।

  • अपनी समझदारी से वायरस को फैलने से बचा लिया था, इस तरह वहां मामले नहीं बढ़े थे।

  • दक्षिण कोरिया में  61 साल की एक महिला, जो 31वीं पेशेंट थी, उसने लापरवाही कर दी और वो एक चर्च के फंक्शन में शामिल होने चली गई।

  • वहां पर कई लोगों के संपर्क में आई जबकि डॉक्टर्स ने उसे खुद को आइसोलेट करने की सलाह दी थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

  • कोरियन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने अपनी पड़ताल में पाया कि वो कम से कम उस दौरान 1,160 लोगों के सम्पर्क में आई थी।

  • फरवरी के दूसरे सप्ताह तक आते-आते साउथ कोरिया में  हालात बहुत बिगड़ गए।

  • उसकी जिम्मेदार इसी 31वें पेशेंट को माना गया।

  • इस शब्द का इस्तेमाल किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिए होता है जिसने संक्रमित होने के बावजूद कई लोगों से सम्पर्क किया हो, और इस वजह से वायरस को काफी फैला दिया हो।



 कोरोना से सावधानी ही बचाव है।